( 2 Sep, 2015) जनजीवन Published By : upscgk.com जनजीवनमध्यप्रदेश की आबादी 7 करोड़ से अधिक है। इनमे से 75% से अधिक लोग गांवों में रहते है, जिनका मुख्य व्यवसाय खेती होता है, जबकि अन्य लोग शहरों में रहते है। हिंदूओं की आबादी सबसे अधिक है, जबकी अल्पसंख्यक समुदाय में मुसलमानों की संख्या अधिक है। मध्यप्रदेश राज्य की जनसंख्या का 20% से अधिक हिस्सा जनजातियों का हैं जो मुख्य रूप से राज्य के दक्षिणी, दक्षिणी-पश्चिमी और पूर्वी भागों में बसा हुआ है। निवास स्थान और भौगोलिक परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण विभिन्न जातियों और जनजातियों के बीच प्रचलित सामाजिक रिवाज एक-दुसरे से अलग होते है। आय के लिए वे कृषि, वन उपज और स्थानीय कला पर निर्भर रहते हैं। बेहतर संचार और अर्थव्यवस्था में विकास के कारण आदिवासी का जीवन बदल रहा है। बैगा स्वयं को द्रविड़ के वंशज मानते हैं और यह जनजाति मंडला, बालाघाट, शहडोल और सीधी जिलों में पायी जाती है। सहारीया मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, श्योपुर, विदिशा और रायसेन जिलों में रहते हैं। अधिकांश सहारीया किसान हैं। भरिया जनजाति मध्यप्रदेश के जबलपुर और छिंदवाड़ा जिलों में प्रमुखता से बसी हुई है। छिंदवाड़ा के पातालकोट में लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या भरिया की है। वे कृषि मजदूरों के रूप में काम करने के साथ बांस की सुंदर टोकरी और अन्य वस्तुएं बनाते है| गोंड सबसे अधिक ज्ञात जनजाति है और मध्यप्रदेश में सबसे बडी संख्या में है। वे प्रमुखता से नर्मदा के दोनों तटों पर मण्डला, छिंदवाड़ा, बैतूल और सिवनी क्षेत्रों तथा विंध्य और सतपुड़ा क्षेत्रों के पहाड़ी इलाकों में निवास करते है। आगारिया, प्रधान, ओझन और सोलाहास, गोंड से उपजे आदिवासी गुट है, जिनकी राजगोंद और दातोलिया, यह दो उप जातियों है। दूसरी सबसे बड़ी जनजाति भील, झाबुआ, खरगौन, धार और रतलाम के आसपास के क्षेत्रों में बसी है। विरासत में मिली गुरिल्ला रणनीति और तीरंदाजी कौशल के कारण वे योद्धा माने जाते हैं। पंचायत प्रमुख के रूप में सरपंच द्वारा कोरकू आदिवासी समुदाय प्रशासित होता है और वे मध्यप्रदेश के होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, हरदा और खंडवा जिलों में पाए जाते हैं। संतिया मालवा की एक जनजाति है, जो खुद को मूल रूप से राजपूत मानती है। वे खानाबदोश रहना पसंद करते हैं। कोल, जो मुख्य रूप से श्रमिक वर्ग के है, वे रीवा, सीधी, सतना, शहडोल और जबलपुर जिलों में पाए जाते हैं। प्राचीन पुराणों और रामायण-महाभारत के प्रसिद्ध महाकाव्यों में भी इस जाति का उल्लेख मिलता है और वे बेहद धार्मिक तथा हिंदू पुराणों के कट्टर आस्तिक होते हैं। धनुक, पणीक तथा सौर जैसी कम ज्ञात जनजातियों का भी एक महत्वपूर्ण समूह है।