( 12 Jul, 2015) हिन्दी व्याकरण -- विशेषण Published By : upscgk.com विशेषण किसे कहते हैं ? जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए । जैसे- कौआ काला होता है । इस वाक्य में काला विशेषण है क्योंकि इससे कौआ यानी संज्ञा के बारे में विशिष्ट (रंग) जानकारी मिलती है । विशेषण के कुछ और भी उदाहरणों से समझा जा सकता है-जैसे: बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो इत्यादि । विशेष्य किसे कहते हैं ? विशेषण जिसकी विशेषता बतलाए । जैसे- बाज बड़ा पक्षी होता है । यहां बाज विशेष्य है क्योंकि ‘बड़ा’ (विशेषण) बाज की खासियत बया कर रहा है । विशेषण के भेद विशेषण के चार भेद हैं- 1. गुणवाचक विशेषण- जिन शब्दों के माध्यम से संज्ञा के गुण या दोष का पता चलता है उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं । गुणवाचक विशेषण के निम्नलिखित रुप हैं- (i) भाव- अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक इत्यादि । (ii) समय- अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा इत्यादि । (iii) आकार- गोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला इत्यादि । (iv) रंग- लाल, हरा, पीला, सफेद, काला, चमकीला, फीका इत्यादि । (v) दशा- पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू इत्यादि । (vi) काल- अगला, पिछला, नया, पुराना इत्यादि । (vii) स्थान- भीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि। 2. परिमाणवाचक विशेषण- जिससे संज्ञा की मात्रा का बोध होता है । उसे परिणाम वाचक विशेषण कहते हैं । परिणामवाचक विशेषण भी दो प्रकार के होते हैं- निश्चित परिणामवाचक- जिससे निश्चित मात्रा का पता चले । जैसे- एक लीटर पानी, एक किलो प्याज । अनिश्चित परिणामवाचक- जिन शब्दों से संज्ञा की अनिश्चित मात्रा का पता चले । जैसे- थोड़ा चावल, कुछ लोग, बहुत चिड़िया । 3. संख्यावाचक विशेषण- जिससे संख्या मालूम पड़े । जैसे- पांच किताबें, दो गाय, पांच गेंद, पांच सौ रुपए, कुछ रुपए इत्यादि । संख्यावाचक विशेषण के भी तीन भेद होते हैं- निश्चित संख्या वाचक- एक, दो, तीन इत्यादि । अनिश्चित संख्यावाचक- थोड़ा सा खाना, चंद रुपए इत्यादि । विभागबोधक- चार-चार लोग, दस-दस हाथी, प्रत्येक नागरिक इत्यादि । संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण- जो सर्वनाम, संज्ञा के लिए विशेषण का काम करते हैं । जैसे- वह लड़की सुंदर है । इस बाघ ने हिरण को मारा । इत्यादि । तुलनात्मक विशेषण विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं । विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज्यादा होते हैं । विशेषण के इसी उतार-चढ़ाव को तुलना कहा जाती है । तुलना की दृष्टि से विशेषणों की अवस्थाएं - मूलावस्था- इसमें तुलना नहीं होती । जैसे- सुंदर, कुरूप, अच्छा, बुरा, बहादुर, कायर इत्यादि । उत्तरावस्था- इसमें दो की तुलना करके एक को बेहतर या निम्नतर दिखाया जाता है । जैसे- रघु मधु से बहुत चालाक है । विशेषणों की रचना कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, लेकिन कुछ विशेषण की रचना संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रिया से की जाती है- (1) संज्ञा से विशेषण बनाना प्रत्यय संज्ञा विशेषण संज्ञा विशेषण क अंश आंशिक धर्म धार्मिक अलंकार आलंकारिक नीति नैतिक अर्थ आर्थिक दिन दैनिक इतिहास ऐतिहासिक देव दैविक इत अंक अंकित कुसुम कुसुमित सुरभि सुरभित ध्वनि ध्वनित क्षुधा क्षुधित तरंग तरंगित इल जटा जटिल पंक पंकिल फेन फेनिल उर्मि उर्मिल इम स्वर्ण स्वर्णिम रक्त रक्तिम ई रोग रोगी भोग भोगी ईन,ईण कुल कुलीन ग्राम ग्रामीण ईय आत्मा आत्मीय जाति जातीय आलु श्रद्धा श्रद्धालु ईर्ष्या ईर्ष्यालु वी मनस मनस्वी तपस तपस्वी मय सुख सुखमय दुख दुखमय वान रूप रूपवान गुण गुणवान वती(स्त्री) गुण गुणवती पुत्र पुत्रवती मान बुद्धि बुद्धिमान श्री श्रीमान मती (स्त्री) श्री श्रीमती बुद्धि बुद्धिमती रत धर्म धर्मरत कर्म कर्मरत स्थ समीप समीपस्थ देह देहस्थ निष्ठ धर्म धर्मनिष्ठ कर्म कर्मनिष्ठ (2) सर्वनाम से विशेषण बनाना सर्वनाम विशेषण सर्वनाम विशेषण वह वैसा यह ऐसा (3) क्रिया से विशेषण बनाना क्रिया विशेषण क्रिया विशेषण पत पतित पूज पूजनीय भागना भागने वाला वंद वंदनीय