( 12 Jul, 2015) हिन्दी व्याकरण -- शब्द रचना - उपसर्ग और प्रत्यय Published By : upscgk.com रचना या बनावट के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं- • रूढ • यौगिक और • योगरूढ़ • रूढ़ शब्द वह होते हैं जो परंपरा से एक विशेष अर्थ में चले आ रहे हैं और इनका शब्दांश या शब्द खंड निरर्थक होते हैं । जैसे- हवा, बकरी, नीम इत्यादि । • यौगिक शब्द वह होते हैं जो दो या दो अधिक शब्द खंडो से बने होते हैं । जैसे- विद्यालय, रमेश, प्रधानाचार्य इत्यादि । • योगरुढ ऐसे यौगिक शब्द जो शब्द खंड के अलावे भी दूसरे अर्थ देते हैं । लेकिन इन शब्दों का इस्तेमाल विशेष अर्थ में किया जाता है । जैसे- लंबोदर यानी लंबे उदर वाला । इस प्रकार से जिसका पेट लंबा हुआ वो सब लंबोदर हुए । लेकिन लंबोदर गणेशजी के लिए प्रयोग किया जाता है । यौगिक शब्दों की रचना मुख्यत: चार तरह से होती है- • प्रत्यय लगाकर • उपसर्ग लगाकर • संधि द्वारा • समास द्वारा प्रत्यय जो शब्दांश शब्दों के अंत में लगकर उनके अर्थ को बदल देते हैं वे प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- छिछोरापन, बुराई इत्यादि । ‘छिछोरा’ में ‘पन’ प्रत्यय लगा है । ‘बुरा’ में ‘आई’ प्रत्यय । प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं- 1. कृत प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय 1.कृत प्रत्यय वह शब्दांश जो क्रियाओं (धातुओं) के अंत में लगकर नए शब्द की रचना करते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं । कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं । जैसे- वच् + अन् = वचन, घट+ अना= घटना, लिख+आवट= लिखावट आदि। प्रत्यय शब्द-रूप प्रत्यय शब्द-रूप आका लड़का, धड़ाका, धमाका आड़ी अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी आलू आलु, झगड़ालू, दयालु, कृपालु ऊ उड़ाऊ, कमाऊ, खाऊ एरा लुटेरा, सपेरा इया बढ़िया, घटिया ऐया गवैया, रखैया, लुटैया अक धावक, सहायक, पालक वाला पढ़नेवाला, लिखनेवाला,रखवाला हारा राखनहारा, खेवनहारा, पालनहारा आऊ बिकाऊ, टिकाऊ, चलाऊ आक तैराक प्रत्यय शब्द-रूप प्रत्यय शब्द-रूप आ भटका, भूला, झूला ई रेती, फाँसी, भारी ऊ झा़ड़ू न बेलन, झाड़न, बंधन नी धौंकनी करतनी, सुमिरनी अन चलन, मनन, मिलन औती मनौती, फिरौती, चुनौती आवा भुलावा,छलावा, दिखावा अंत भिड़ंत, गढ़ंत आई कमाई, चढ़ाई, लड़ाई आवट सजावट, बनावट, रुकावट आहट घबराहट,चिल्लाहट प्रत्यय शब्द-रूप प्रत्यय शब्द-रूप ता डूबता, बहता, रमता, चलता ता आता हुआ, पढ़ता हुआ या खोया, बोया आ सूखा, भूला, बैठा कर जाकर, देखकर ना दौड़ना, सोना 2.तद्धित प्रत्यय जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के अंत में लगकर नए शब्द बनाते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- आध्यात्म+ इक= आध्यात्मिक , पशु+ त्व= पशुत्व आदि। प्रत्यय शब्द-रूप प्रत्यय शब्द-रूप क फाटक, महक, लेखक आर सुनार, लुहार, कहार कार पत्रकार, कलाकार, चित्रकार इया सुविधा, दुखिया, आढ़तिया एरा सपेरा, ठठेरा, चितेरा आ मछुआ, गेरुआ, ठलुआ वाला टोपीवाला घरवाला, गाड़ीवाला दार ईमानदार, दुकानदार, कर्जदार हारा लकड़हारा, पनिहारा, मनिहार ची मशालची, खजानची, मोची गर कारीगर, बाजीगर, जादूगर पन बचपन, लड़कपन, बालपन आ बुलावा, सर्राफा आई भलाई, बुराई, ढिठाई आहट चिकनाहट, कड़वाहट, घबराहट इमा लालिमा, महिमा, अरुणिमा पा बुढ़ापा, मोटापा ई योगी, भोगी, गरीबी औती बपौती इया लुटिया, डिबिया, खटिया ई कोठरी, टोकनी, ढोलकी टी, टा लँगोटी, कछौटी,कलूटा ड़ी, ड़ा पगड़ी, टुकड़ी, बछड़ा हरा इकहरा, दुहरा, तिहरा ला पहला रा दूसरा, तीसरा था चौथा सा पीला-सा, नीला-सा, काला-सा हरा सुनहरा, रुपहरा प्रत्यय शब्द-रूप प्रत्यय शब्द-रूप आ भूखा, प्यासा, ठंडा,मीठा ई धनी, लोभी, क्रोधी ईय राष्ट्रीय, अनुकरणीय ईला रंगीला, सजीला ऐला विषैला, कसैला लु कृपालु, दयालु वंत जामवंत, कुलवंत वान गुणवान, रूपवान ई पंजाबी, बंगाली, गुजराती इया कलकतिया, जबलपुरिया वाला घासवाला, चनावाला उपसर्ग वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगते हैं और उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्गकहलाते हैं । जैसे- स्वदेश, प्रयोग इत्यादि । स्वदेश में स्व उपसर्ग है । प्रयोग में प्र उपसर्ग है । उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं- (i) संस्कृत के उपसर्ग (ii) हिन्दी के उपसर्ग (iii) उर्दू के उपसर्ग (iv) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय संस्कृत के उपसर्ग उपसर्ग अर्थ शब्द रचना परा पीछे, उलटा परामर्श, पराधीन, पराक्रम परि सब ओर परिपूर्ण, परिजन, परिवर्तन प्र आगे, अधिक, उत्कृष्ट प्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध प्रति सामने, उलटा, हरएक प्रतिकूल, प्रत्येक, प्रत्यक्ष अति अधिक, ऊपर अत्यंत, अत्युत्तम, अतिरिक्त अधि ऊपर, प्रधानता अधिकार, अध्यक्ष, अधिपति अनु पीछे, समान अनुरूप, अनुज, अनुकरण अप बुरा, हीन अपमान, अपयश, अपकार अभि सामने, अधिक पास अभियोग, अभिमान, अभिभावक अव बुरा, नीचे अवनति, अवगुण, अवशेष आ तक से, लेकर, उलटा आजन्म, आगमन, आकाश उत् ऊपर, श्रेष्ठ उत्कंठा, उत्कर्ष, उत्पन्न उप निकट, गौण उपकार, उपदेश, उपचार, उपाध्यक्ष दुर् बुरा, कठिन दुर्जन, दुर्दशा, दुर्गम दुस् बुरा दुश्चरित्र, दुस्साहस, दुर्गम नि अभाव, विशेष नियुक्त, निबंध, निमग्न निर् बिना निर्वाह, निर्मल, निर्जन निस् बिना निश्चल, निश्छल, निश्चित वि हीनता, विशेष वियोग, विशेष, विधवा सम् पूर्ण, अच्छा संचय, संगति, संस्कार सु अच्छा, सरल सुगम, सुयश, स्वागत हिन्दी के उपसर्ग ये प्रायः संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश मात्र ही हैं। उपसर्ग अर्थ शब्द रचना अन रहित अनपढ़, अनबन, अनजान अध आधा अधमरा, अधखिला, अधपका औ रहित औगुन, औतार, औघट कु बुराई कुसंग, कुकर्म, कुमति नि अभाव निडर, निहत्था, निकम्मा उर्दू के उपसर्ग उपसर्ग अर्थ शब्द रचना कम थोड़ा कमबख्त, कमजोर, कमसिन खुश प्रसन्न, अच्छा खुशबू, खुशदिल, खुशमिजाज गैर निषेध गैरहाजिर, गैरकानूनी, गैरकौम दर में दरअसल, दरकार, दरमियान ना निषेध नालायक, नापसंद, नामुमकिन बा अनुसार बामौका, बाकायदा, बाइज्जत बद बुरा बदनाम, बदमाश, बदचलन बे बिना बेईमान, बेचारा, बेअक्ल ला रहित लापरवाह, लाचार, लावारिस सर मुख्य सरकार, सरदार, सरपंच हम साथ हमदर्दी, हमराज, हमदम हर प्रति हरदिन, हरएक,हरसाल उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत अव्यय उपसर्ग अर्थ शब्द रचना स सहित सजल, सकल, सहर्ष अन् (स्वरों से पूर्व) निषेध अनागत, अनर्थ, अनादि अंतर भीतर अंतरात्मा, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्जातीय अ (व्यंजनों से पूर्व) निषेध अज्ञान, अभाव, अचेत अधः नीचे अधःपतन, अधोगति, अधोमुख चिर बहुत देर चिरायु, चिरकाल, चिरंतन पुरस् आगे पुरस्कार, पुरस्कृत पुनः फिर पुनर्गमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन पुरा पुराना पुरातत्व, पुरातन तिरस् बुरा, हीन तिरस्कार, तिरोभाव सत् श्रेष्ठ सत्कार, सज्जन, सत्कार्य