शकुंतला देवी जीवनी - Biography of Shakuntala Devi in Hindi Jivani Published By : upscgk.com शकुन्तला देवी (4 नवम्बर 1929 - 21 अप्रैल 2013) जिन्हें आम तौर पर "मानव कम्प्यूटर" के रूप में जाना जाता है, बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा की धनी एवं मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) थीं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया। शकुन्तला देवी का जन्म कर्नाटक की राज्यधानी बंगलौर नामक महानगर में एक रुढ़ीवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शकुन्तला देवी के पिता सर्कस में करतब दिखाते थे। वह 3 वर्ष की उम्र में जब अपने पिता के साथ ताश खेल रही थीं तभी उनके पिता ने पाया कि उनकी बेटी में मानसिक योग्यता के सवालों को हल करने की क्षमता है। शकुंतला ने 6 वर्ष की उम्र में मैसूर विश्वविद्यालय में एक बड़े कार्यक्रम में अपनी गणना क्षमता का प्रदर्शन किया। वर्ष 1977 में शकुंतला ने 201 अंकों की संख्या का 23वां वर्गमूल बिना कागज़ कलम के निकाल दिया। उन्होने 13 अंकों वाली 2 संख्याओं का गुणनफल 26 सेकंड बता दिया था।आर्थिक तंगी के चलते उन्हें दस साला होने पर ही संत थेरेसा कोंवेंट चमाराजपेट में कक्षा 1 में भर्ती किया जा सका। माँ बाप के पास स्कूल की फीस (शुल्क मात्र दो रुपया प्रति माह) देने के लिए भी पैसे नहीं थे लिहाजा तीन माह के बाद ही उन्हें स्कूल से चलता कर दिया गया। तकरीबन गुट्टाहल्ली का झोंपड पट्टी नुमा इलाका ही था गाविपुरम जहां आपका लालन पालन हुआ। एक गणित विश्वविद्यालय और शोध एवं विकास केंद्र खोलना आपका स्वप्न था जहां अभिनव तकनीकों के ज़रिये जनमानस को पेचीला गणीतिय सवालों के हल करने के शोर्टकट्स और प्रभावशाली स्मार्ट तरीकों में प्रवीण बनाया जा सके। टाइम्स आफ इंडिया के साथ एक बात चीत में आपने कहा था -मैं अपनी क्षमता तो लोगों को अंतरित नहीं कर सकती लेकिन एक संख्यात्मक रुझान तेज़ी से विकसित कर लेने में मैं जनसामान्य की मदद ज़रूर कर सकती हूँ। बड़ी संख्या है ऐसे लोगों की जिनकी तर्क शक्ति का दोहन नहीं किया जा सका है। आप इस मिथक को तोड़के महाप्रयाण यात्रा पर निकल गईं हैं कि लड़कियों का हाथ गणित में तंग होता है। रोचक तथ्य:- 1) जिस समय उनके पिता को शकुंतला देवी / Shakuntala Devi की मानसिक प्रतिभा की झलक दिखी उस समय वह केवल 3 वर्षो की ही थी. ताश के खेल में हर बार वह अपने पिता को हराती थी. उनके पिता अचंभित थे की कैसे कोई इतनी कम उम्र में ताश के क्रम को याद रखकर आगे की चाल समझ सकता है. 2) 6 साल की आयु में मैसूर विश्वविद्यालय में उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था. और बाद में 2 साल बाद अन्नामलाई विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया था. बाद में वे प्रदर्शन करने के लिए ओस्मानिया विश्वविद्यालय और हैदराबाद और विशाखापट्टनम गयी. बचपन में ही वह विश्व प्रसिद्ध बन चुकी थी. 3) 1944 में, शकुंतला अपने पिता के साथ लंदन चली गयी. बहोत सी संस्थाओ में देवी ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, ये सब वह तब तक करती रही जब तक की अंग्रेजी मीडिया उन्हें पहचान न ले. 4) 1977 में, दक्षिणी विश्वविद्यालय, डल्लास, USA ने शकुंतला को आमंत्रित किया. जहा उन्हें 201 (Digit Number) का 23 व रुट बताने के लिये कहा गया. जो उन्होंने सिर्फ 50 सेकंड में ही बता दिया. उनका उत्तर UNIVAC 1101 कंप्यूटर में देखने के लिये US ब्यूरो ऑफ़ स्टैण्डर्ड को विशेष प्रोग्राम तैयार करना पड़ा था. 5) उन्होंने किताबो के साथ ही ज्योतिषशास्त्र के बारे में भी लिखा, वैज्ञानिक अंको, पहेलियो के बारे में भी लिखा. इस क्षेत्र में उनके महान कार्यो में आपके लिये ज्योतिषशास्त्र(2005) इत्यादि शामिल है. 6) बौद्धिक रूप से होशियार होने के साथ ही शकुंतला देवी एक लेखिका भी थी. उनकी किताब, दी वर्ल्ड ऑफ़ होमोसेक्सुअल (1977) समलिंगकामुकता पर लिखी गयी पहली किताब थी. 7) 1969 में फ़िलीपीन्स विश्वविद्यालय ने उन्हें वुमेन ऑफ़ दी इयर का दर्जा देते हुए सम्मानित किया था. उन्हें रामानुजन गणित ज्ञाता का भी पुरस्कार दिया गया. मृत्यु और महानता अप्रैल 2013 में शकुंतला देवी को बंगलुरु के दवाखाने में दाखिल किया गया. लगातार 2 हफ़्तों तक वे वही भर्ती थी, और किडनी और दिल में भारी कमजोरी के चलते दवाखाने में ही 21 अप्रैल 2013 को उनकी मृत्यु हो गयी. उस समय उनकी आयु 83 साल की थी. उनकी एक बेटी अनुपमा बनर्जी भी है. 4 नवंबर 2013 को गूगल ने अपने डूडल को उनके नाम पर करते हुए सम्मानित किया था.