नैना लाल किदवई जीवनी - Biography Of Naina Lal Kidwai in Hindi Jivani Published By : upscgk.com नैनालाल किदवई पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और एचएसबीसी बैंक की भारत में प्रमुख हैं। वे वर्तमान में फिक्की की अध्यक्ष भी हैं। वे कई बैंकों के अहम पदों पर रह चुकी हैं। वे पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने किसी विदेशी बैंक का भारत में संचालन किया। नैना ने शिमला, (हिमाचल प्रदेश) से स्कूली शिक्षा और दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद हावर्ड बिजनेस स्कूल' से एमबीए किया। वर्ष 1982 में ‘स्टैंडर्ड चाटर्ड बैंक’ से करियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने कुछ दिन ‘मोर्गन स्टेनले बैंक’ में काम किया और फिर एचएसबीसी से जुड़ गईं। नैना का जन्म वर्ष 1957 में भारत में हुआ। उनकी प्रारंभिक स्कूल की शिक्षा शिमला शहर में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त किया और एम.बी.ए. करने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल गईं। हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वह भारत में किसी विदेशी बैंक का मार्गदर्शन करने वाली प्रथम महिला हैं। वह एक अर्हताप्राप्त ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट’ भी हैं। नैना सी ए जी (कैग) के ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड में भी रह चुकी हैं। नैना लाल किदवई HSBC बैंक इंडिया की ग्रुप जनरल मेनेजर और कंट्री हेड है। नैना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर की डिग्री और हार्वर्ड बिज़नस स्कूल से MBA की उपाधि प्राप्त की है। और हार्वर्ड बिज़नस स्कूल से ग्रेजुएट भी किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुवात ANZ ग्राइंडलेस से की थी। और फिलहाल वह नेस्ले SA की नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर रहते हुए सेवा भी कर रही है। इसके साथ ही हार्वर्ड बिज़नस स्कूल की वह वैश्विक सलाहकार भी है। ट्रेड और इंडस्ट्री के क्षेत्र में उनके इस अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित भी किया है। उन्हें भारत के सबसे सफलतम उद्यमियों में से एक माना जाता है। उनकी इन उपलब्धियों को देश और विदेशो में काफी पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। वह स्वभाव से नम्र और धीरज की प्रतिमूर्ति है। अपनी कामयाबी को लेकर एक बार उन्होंने कहा था की, “मुझे अपनेआप पर हमेशा विश्वास रहा है। फलस्वरूप मै अपने उद्देश्य में हमेशा कामयाब रही हु। आप को अपने सपने के साथ उद्देश्य को जोड़ देना चाहिये। यही वजह है की मै अपने क्षेत्र में कामयाब रही।” उनका हमेशा से यही मानना था की यदि हम कामयाब होना चाहते है तो हमें हमारी आतंरिक शक्तियों को बाहर लाना होगा और खुद पर पूरा भरोसा करना होगा। तभी आप किसी भी काम को बेहतर तरीके से कर पओंगे। हमारे लिये ये गर्व की बात होनी चाहिये की विश्व की सफलतम महिलाओ में भी नैना लाल किदवई का नाम लिया जाता है। निजी जीवन नैना किदवई के पिता एक बीमा कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे और उनकी माँ उद्योगपति ललित मोहन थापर की बहन थीं। उनके पति राशिद किदवई हैं जो ‘ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क फॉर वीमेन’ नामक एक NGO चलाते हैं। वे दो बच्चों की माँ हैं और संयुक्त परिवार में रहती हैं। नैना को भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत का बहुत शौक है। उन्हें ट्रेकिंग का भी शौक है और हिमालय में ट्रेकिंग पर जाना पसंद है। वो एक प्रकृति प्रेमी भी हैं और वन्य जीवन के अवलोकन में गहरी रुचि रखती हैं। अपने करियर के बारे में उनका कहना है, “मुझे अपने आप पर हमेशा विश्वास रहा है। फलस्वरूप मैं अपने उद्देश्य में हमेशा कामयाब रही हूँ। आप को अपने सपने के साथ अपने उद्देश्य को जोड़ देना चाहिए और परिणाम के बारे चिंता नहीं करनी चाहिए। यही वजह है की मैं अपने क्षेत्र में कामयाब रही।” सम्मान और पुरस्कार · देश के आर्थिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए नैना को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। · प्रसिद्ध पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल किया। · फार्च्यून ने ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में शामिल किया। · फोर्च्यून’ पत्रिका ने उन्हें एशिया की तीसरी बिजनेस विमन का खिताब दिया। · ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल किया किया। · वर्ष 2007 भारत सरकार उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है। · वर्ष 2012 में उन्हें फिक्की (फैडरेशन औफ इंडियन चैंबर्स औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री) का अध्यक्ष चुना गया।