हनुमनथप्पा नरसिहैया की जीवनी - Biography of Hanumanthappa Narasihaiya in hindi jivani Published By : upscgk.com नाम : हनुमनथप्पा नरसिहैया जन्म तिथि: 6 जून 1920 ठिकाण : होसूर, कर्नाटक व्यावसाय : भौतिक विज्ञानी मृत्यू : 31 जनवरी 2005 आयू 84 वर्षे प्रारंभिक जीवनी : नरसिंहैया का जन्म 6 जून 1920 को भारत के कर्नाटक मे गौरीविदनूर के पास एक गांव होसूर मे हुआ था | और मॉ एक मजदूर थी | उनकी एक छोटी बहन थी | उनके गांव मे कोई औपचारिक स्कूल नही होने के कारण, उन्होंने निकटतम शहर गौरीबदनरू मे सरकारी स्कूल मे पढाई कि थी | उन्होंने प्राथमीक स्कूल मे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कि थी | जिसमे आठ मानक से आगे कि पढाई नही थी | उन्होने एक साल के लिए स्कूल बंद कर दिया था | उनके स्कूल के हेडमास्टार एमएस नारायण रयओ, जिन्हे अभी हाल ही मे बैंगलोर के नेशनल हाई स्कूल बसनवनगुडी मे स्थानांतरीत किया गया था | उन्हेांने 1935 मे स्कूल मे दाखिला लिया था | महत्मा गांधी के साथ उनकी मुलाकात 1936 मे राष्ट्रीय उच्चा विदयालय मे हुई थी | उनके शिक्षक ने उन्हे कन्नाड मे गांधी के हिंदी भाषण के व्याख्यात के रुप चुना गया था | एक साल के बाद उन्हेांने अपनी स्त्रातक कि डिग्री हासिल कि थी , भौतिकी सम्मन के साथ बीएसस्सी मे पूरी कि थी | उन्होंने 1946 मे संट्रल कॉलेज से प्रथम श्रेणी के साथ भौतिकी मे एमएससी कि डीग्री हासिल कि थी | उसी वर्षे उन्हेांने नेशनल कॉलेज बैंगलोर मे एक व्याख्याता के रुप मे अपने शैक्षणिक जीवन कि शुरुआत कि थी | दस साल तक पढाने के बाद, 1957 मे वह कोलंबस ओहियो आगे कि डिग्री के लिए चले गऐ थे | उन्हेांने 1960 मे ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से परमाणू भैातिकी मे पीएचडी कि उपाधि प्राप्ता कि थी | कार्य : होसूर नरसिहैया कर्नाटक के एक भारतीय भौतिक विज्ञानी, शिक्षक लेखक, स्वतंत्रता सेनानी और तर्कवादी थे |उन्हें सार्वजनिक रुप से एचएन के रुप मे जाना जाता है | वह बैंगलोर विश्वाविघ्यालय के कुलपति और राष्ट्रीय शिक्षा सोसाइटी के अध्याक्ष थे | 1961 से 1972 तक वह बंगलौर के नेशनल कॉलेज बसवनगुडी के प्रिंसिपल थे | वह 1972 से बैंगलोर विश्वाविघ्यालय के चौथे कुलपति बने थे | और 1975 मे उन्हें फिर से नियुक्त किया गया था | वे 1977 तक इसपद पर बने रहे | इस दौरान उन्हेांने मनोविज्ञान, सामाजिक कार्य, नाटक संगीत और नृत्या को नए विषयों के रुप मे पेश किया था | उन्होंने कर्नाटक विधान परिषद कि सेवा कि थी | उन्होने 1976 मे कमेटी टू इनवेस्टिंग मिरेर्स एंड अदर वेरिफएबल अंधविश्वास कि स्थापना कि थी | और वह उपकुलपपति के रुप मे कार्य किया था | वह अब एक मात्र भारतीय है | जो पैरानॉर्मल के दावों कि वैज्ञानिक जांच के लिए समिती के फेलो चुने गए है | पुरस्कार और सम्मान : 1) भारत सरकार व्दारा स्थापित तीसरा सबसे बडा नागरिक पूरस्कार 1984 मे उन्हें पदमभूषण से सम्मानित किया गया था | 2) उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने के लिए ताम्रपत्र पूरस्कार मिला था | 3) विज्ञान कि लोकप्रियता मे उनके योगदान के लिए उनहेांने सर एम विश्वेश्वरैया पूरस्कार जीता था | 4) उन्होने अपनी पूस्तके के लिए साहित्या अकादमी पूरस्कार प्राप्ता किया था | 5) उनहे 1990 मे कर्नाटक नाटक आकादमी के फेलो थे | 6) उनहे 1983 मे तर्कवादी संघ का अध्याक्ष चुना गया था | 7) उनहे 2001 मे गोरुरु पूरस्कार से सम्मानित किया गया था | 8) 1969 मे उनहें रा्योत्साव पूरस्कार से सम्मानित किया गया था | पूस्तके : 1) होराटदा हाडी और टेरेडा मन|